
भारतीय राजनीति में जो सकारात्मक बदलाव 2014 के बाद हुए हैं उसने सबसे बड़ी हानि विपक्ष को पहुंचाई है। इस हानि को पूरा करने के लिये विपक्ष आज वह सब मुद्दे उठा रहा है जो राष्ट्र, समाज और देश की एकता, अखंडता के लिये विष का काम करेंगे। इस बदलाव ने विपक्ष की विचारधारा, विपक्ष की विश्वसनीयता, विपक्ष की क्षमता और विपक्ष की दिशाहीनता को बढ़ावा दिया है। चुनाव में भले ही विपक्ष ने थोड़ी बढ़ोत्तरी हासिल की हो लेकिन वैचारिक दृष्टिकोण से संपूर्ण विपक्ष में एक शून्यता उत्पन्न हुई है।




