बोल जमूरे क्या क्या देखा
10 साल में क्या क्या सीखा
बेल पर रिहा दिखा एक नेता
जो तो है राजवंश का बेटा
देश की करता बाहर बुराई
चाहता है सत्ता की मलाई
चोर चोर मौसेरे भाई
सबमें चलती हाथा पाई
फिर भी कहते भाई भाई
वाह जमूरे क्या बात सुनाई
और बता क्या देखा भाई
एक दिखा इंजीनियर जैसा
दोस्त ने जिसके खाया पैसा
दारू बेची पहुंचा जेल
उसको ना मिल पाई बेल
कहता मैं हूं क्रांतिकारी
लेकिन वो एक बड़ी बीमारी
मुफ्त में बांटे बिजली पानी
चाहता करूं पूरी मनमानी
दिल्ली पर ऐसे चढ़ बैठा
चंदन वृक्ष पर सांप हो जैसा
वाह जमूरे ये था बढ़िया
और भी था कोई इस से घटिया
एक ने खाया भैंस का चारा
किडनी बदली बना बेचारा
कोर्ट में कहता मैं बीमार
चलने फिरने से लाचार
षडयंत्रों में पूरा स्वस्थ
चलता फिरता रहता मस्त
लेकिन मन का पूरा घाघ
बकरी में हो जैसे बाघ
ठग विद्या का पूरा ज्ञानी
अपराधों की उसकी कहानी
वाह जमूरे क्या बात कही
क्या एक ही था या थे वो कई
एक कहे मैं सबकी दीदी
मैं तो बड़ी ही सादी सीधी
लेकिन उसके सिपहसालार
दलाली का बड़ा व्यापार
टीचर घोटाले में गिरफ्तार
पर दीदी का उन पर प्यार
घुसपैठियों की प्यारी सरकार
जिसकी माया अपरंपार
अपराधियों से करती प्यार
विरोधियों का होता बलात्कार
ओह जमूरे दुख भरी कहानी
क्या और भी हैं कुछ ऐसे प्राणी
एक कहे मैं यादव सम्राट
खड़ी करूंगा सबकी खाट
पिता रहा था अत्याचारी
निर्दोषों पर गोली बारी
भुगता उसने इसका परिणाम
बेटे ने किया अपमान
राज भवन से हुई विदाई
टोंटी तक ले गया वो भाई
खत्म हुआ उसका व्यापार
सीटें मिली सिर्फ दो चार
वाह जमूरे क्या तेरी कहनी
जैसी करनी वैसी भरनी
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