समाज वोट देकर सत्तायें बनाता है और हटाता है, 2019 एक बार फिर सरकार को
दोबारा बनाने या हटाने के अधिकार का वर्ष है। सरकार से भी परे यह निर्णय
देश और समाज की दिशा को निर्धारित करने, सत्ता द्वारा देश और समाज को लाभ
होगा या नही इसको भी सुनिश्चित करने वाला है। सतह से देखने पर यह एक चुनाव
और सरकार के चुनने की प्रक्रिया मात्र लगता है लेकिन कुछ दलों के लिये, और
पिछले 70 वर्षों में उनके द्वारा बिछाये गये तंत्रजाल के लिये, यह अस्तित्व
के बने रहने का भी प्रश्न है। दैनिक जीवन की कठिनाईयों से जूझते समाज का
एक बड़ा भाग चुनाव के दौरान या उसके पहले के बने वातावरण से प्रभावित होता
रहा है। यही कारण है कि 60 साल तक देश में राष्ट्रीय भाव रखने वाली सत्ता
का अभाव रहा, और जब यह भाव सत्ता में ही नही था तो समाज में भी यह भाव
जागरूकता के स्तर पर नही रहा।