हरियाणा चुनावों में जो परिणाम आया है उसने पिछले कुछ वर्षों में चल रही जातिगत राजनीति, किसानों के नाम पर हुए दुष्प्रचार, संविधान के बदले जाने का भ्रम, बहुसंख्यक समाज में जातिगत विद्वेष पैदा करने के सभी प्रयासों को ध्वस्त किया है।
वामपंथी इकोसिस्टम और सांस्कृतिक चेतनाः
जातिगत दुर्भावना को हटाने के लिये सांस्कृतिक पुनर्जागरण का जो चरण केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार ने आरंभ किया, उसकी काट करना कांग्रेस और सपा की क्षमता से बाहर था। काशी कॉरीडोर, अयोध्या राम मंदिर, काशी तमिल संगमम्, माँ विंध्यवासीनी कॉरीडोर, उज्जैन महाकाल कॉरीडोर, नाथ कॉरीडोर, करतारपुर कॉरीडोर, जम्मू कश्मीर के मंदिरों का पुनरोद्धार, महाकुम्भ का भव्य आयोजन, भारत की परंपरा और विरासत का G20 देशों के समक्ष प्रदर्शन जैसे कार्य केंद्र और यूपी सरकार ने किये। इन कार्यों से जब भारतीयों में अपनी संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करने की भावना पैदा हुई तो मैकाले की मानसिकता से ग्रस्त विपक्षियों ने इसकी काट के लिये बांटों और राज करो के अंग्रेजी सिद्धांत को फिर से अपना लिया।