Jan 17, 2012

राजनैतिक शून्य और विकल्पहीनता...

अंततः जैसा अपेक्षित था, आगामी माह मे होने चुनावों के प्रपंच अपनी चरम सीमा पर पहुंचने लगे हैं, और इन सभी प्रपंचो का एक मात्र लक्ष्य सत्ता पर पहुंचना है. जो भारतीय समाज के लिये अनावश्यक और अवांछनीय है, क्योंकि सत्ता पर कोई भी पहुंचे उसका आचरण बदलने की संभावना असंभव लगती है.


Dec 26, 2011

फोटो के संबंध..



आर एस एस को स्वघोषित परिभाषा के अनुसार सोचने वाले व्यक्तियों का एक समूह, (जो संघ का मात्र इस हेतु से प्रतिकार करता है क्यों कि उसके वैचारिक दृष्टिकोण के उत्तर इस समूह के पास नही होते) अब एक ठहाका लगाने योग्य प्रमाण को ले कर अन्ना को संघ के साथ संबंधित करना चाहता है. किंतु यदि ये मान भी लिया जाये कि दो व्यक्तियों की फोटो एक साथ होने के कारण दोनो के वैचारिक दृष्टिकोण आपस मे मिलते हैं तो इस तर्क से राहुल गांधी की फोटो जो कि एक अपराधी के साथ थी, स्वयं मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और उनके दलों के सभी राष्ट्रभक्तों की फोटो नारायण दत्त तिवारी जी के साथ भी उपलब्ध है (क्या ये माना जाये कि वो भी नारायण दत्त तिवारी की तरह अपने पद और शक्ति का उपयोग करते हैं) राजीव गांधी सोनिया गांधी की फोटो भी क्वात्रोचि के साथ भी उपलब्ध हो सकती है, अर्जुन सिंह की फोटो एंडरसन जैसे हत्यारे के साथ उपलब्ध हो सकती है, और सिर्फ फोटो ही क्यों, कांग्रेस के एक विधायक की तो १३९ सीडी भंवरी देवी के साथ उपलब्ध है तो क्या कांग्रेस के समस्त आंदोलनो के लक्ष्य भी उस सीडी के आधार पर घोषित कर दिया जाये?

Jul 3, 2011

अन्ना तुम तो सही हो पर...



अन्ना तुम फिर से हमारा आह्वान कर के जंतर मंतर पर जा रहे हो, हम फिर से आ जायेंगे लेकिन कहीं कुछ टीस रहा है, विश्वास कहीं कुछ कमजोर सा हो गया है. पिछली बार हम आये थे क्योंकि तुम हमारे लिये अनशन पर थे, इस बार भी तुम्हारे अनशन का कारण हम ही हैं लेकिन शंका तुम्हारे साथ के लोगों पर होने लगी है.


Apr 23, 2011

जंतर मंतर पर बैठा सवाल..

वो सब जो अपने अपने काम छोड़ कर अन्ना को समर्थन देने आये थे और अन्ना हजारे, सभी वापस चले गये। सत्ताओं मे मची हलचल अभी शांत नही है, सत्तायें अभी व्यस्त हैं , इस अचानक आई अस्वाभाविक आपदा और चुनौति का सामना करने के लिये साधनो की खोज जारी है. कुछ ने हथियार डाल दिये हैं और स्वीकार कर लिया है कि वो अन्ना के बिल को समर्थन देने को तैयार हैं और कुछ प्रतीक्षा करो और देखो की नीति पर चल रहे हैं।


Jan 13, 2011

भ्रष्टाचारियों के कारण मेरी संक्रांति की खिचडी..

आज मकर संक्रांति है, सूर्य भगवान उत्तरायण मे जाना आरंभ करेंगे. वैसे तो खिचडी कई दिन से पक रही है, सब्जी मे बिना प्याज के मजा नही आता, और मुझे सब्जी खाने मे मजा आये, इसमे शरद पवार को मजा नही आता, तो आज भी खिचडी बनी है, ये अच्छा है कि इसमे प्याज नही डलते वरना संक्रांति पर्व की खिचडीभोज भी शासक समूह को धिक्कारने मे गुजरता. एक कौर खाता, चार गाली बकता, जीभ कटती तो आठ बकता. 


Jan 12, 2011

भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध..

कॉमनवेल्थ खेल खत्म हुए २ महिने से ज्यादा हो गया, भारतीय जनमानस के ८०,००० करोड रुपयो का कुछ पता नही चला है.. और जो पता चला है वो ये कि देश मे एक नयी प्रणाली विकसित हो गई है, जो मिल जुल कर काम कर रही है, इसमे पत्रकार हैं, नेता हैं, व्यवसायी हैं, अधिकारी है. एक घेरा बना हुआ है जिसके बीच मे भारतीय जनमानस है और चारो ओर से इन सुरसाओ ने अपना मुँह खोला हुआ है.. भारतीय जनमानस को इतना असहाय और शासको का इतना अधिक नैतिक और चारित्रिक पतन आज तक नही सुना.. चोर शासको ने प्रणाली के अंदर स्वयं को बचाने के लिये पहले वैधानिक चोर दरवाजे बनाये, और फिर अपने को बेनकाब कर सकने वाले अन्य समूहो के प्रतिष्ठित सौदागरो को जिन्हे वो पत्रकार और अधिकारी कहते हैं, उन्हे भी अपनी प्रणाली का हिस्सा बना लिया, आम जनमानस को ठगा गया और ठगे गये पैसे की बंदरबॉट हुई, जिन्हे राष्ट्र हित सर्वोपरि रखना चाहिये था उन्होने स्वयं के और अपने स्वजनो के लाभ हेतु मौन धारण किया.

Sep 29, 2010

कबीर के दोहे, कॉमनवेल्थ खेल के परिप्रेक्ष्य में..

साई इतना दीजिये, जितना कलमाडी खाय !

सात पुश्त भूखी ना रहे, कोई चिंता नही सताय !!


गिल कलमाडी दौऊ खडे, काके लागू पांय !

बलिहारी मै दौऊ पर, भट्टा दिया बिठाय !!



Sep 1, 2010

कामन वेल्थ झेल का थीम गीत…

कृपया धुन के लिये प्रदीप जी का लिखा प्रसिद्ध गीत


“आओ बच्चो तुम्हे दिखाये, झांकी हिन्दुस्तान की, इस मिट्टी से तिलक करो ,

ये धरती है बलिदान की”

पर निम्न पन्क्तियों को समायोजित करने का प्रयास करें…


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आओ तुमको कथा सुनाये, नेता जी के चमत्कार की.

खेल खेल में पैसा  झपटा, लोगो ने हाहाकार की.

टैक्स भी ले लिया…. काम भी नही किया.

टैक्स भी ले लिया…. काम भी नही किया.