साई इतना दीजिये, जितना कलमाडी खाय !
सात पुश्त भूखी ना रहे, कोई चिंता नही सताय !!
गिल कलमाडी दौऊ खडे, काके लागू पांय !
बलिहारी मै दौऊ पर, भट्टा दिया बिठाय !!
लूट सके तो लूट ले, वेल्थ खेल की लूट !
पाछे फिर पछ्तायेगा, फिर नही मिलेगी छूट !!
गिर गया तो क्या हुआ, पुल था थोडा कमजोर !
चिंता काहे की करनी, माल तो लिया बटोर !!
चाह मिटी, चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह !
माल तो अंदर कर लिया, भरते रहो सब आह !!
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