मैं किसी को प्रसन्न या हताश करने हेतु नही लिखता हूं, मैं वही लिखता हूं जो मुझे ठीक लगता है, आवश्यक नही कि कोई उस से सहमत अथवा असहमत हो...
Jan 13, 2011
Jan 12, 2011
भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध..
कॉमनवेल्थ खेल खत्म हुए २ महिने से ज्यादा हो गया, भारतीय जनमानस के ८०,००० करोड रुपयो का कुछ पता नही चला है.. और जो पता चला है वो ये कि देश मे एक नयी प्रणाली विकसित हो गई है, जो मिल जुल कर काम कर रही है, इसमे पत्रकार हैं, नेता हैं, व्यवसायी हैं, अधिकारी है. एक घेरा बना हुआ है जिसके बीच मे भारतीय जनमानस है और चारो ओर से इन सुरसाओ ने अपना मुँह खोला हुआ है.. भारतीय जनमानस को इतना असहाय और शासको का इतना अधिक नैतिक और चारित्रिक पतन आज तक नही सुना.. चोर शासको ने प्रणाली के अंदर स्वयं को बचाने के लिये पहले वैधानिक चोर दरवाजे बनाये, और फिर अपने को बेनकाब कर सकने वाले अन्य समूहो के प्रतिष्ठित सौदागरो को जिन्हे वो पत्रकार और अधिकारी कहते हैं, उन्हे भी अपनी प्रणाली का हिस्सा बना लिया, आम जनमानस को ठगा गया और ठगे गये पैसे की बंदरबॉट हुई, जिन्हे राष्ट्र हित सर्वोपरि रखना चाहिये था उन्होने स्वयं के और अपने स्वजनो के लाभ हेतु मौन धारण किया.
Sep 29, 2010
कबीर के दोहे, कॉमनवेल्थ खेल के परिप्रेक्ष्य में..
साई इतना दीजिये, जितना कलमाडी खाय !
सात पुश्त भूखी ना रहे, कोई चिंता नही सताय !!
गिल कलमाडी दौऊ खडे, काके लागू पांय !
बलिहारी मै दौऊ पर, भट्टा दिया बिठाय !!
Sep 1, 2010
कामन वेल्थ झेल का थीम गीत…
कृपया धुन के लिये प्रदीप जी का लिखा प्रसिद्ध गीत
“आओ बच्चो तुम्हे दिखाये, झांकी हिन्दुस्तान की, इस मिट्टी से तिलक करो ,
ये धरती है बलिदान की”
पर निम्न पन्क्तियों को समायोजित करने का प्रयास करें…
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आओ तुमको कथा सुनाये, नेता जी के चमत्कार की.
खेल खेल में पैसा झपटा, लोगो ने हाहाकार की.
टैक्स भी ले लिया…. काम भी नही किया.
टैक्स भी ले लिया…. काम भी नही किया.
Aug 30, 2010
कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित...
पेश है कामन वेल्थ खेलो का गीत उसके भावार्थ सहित..
प्रसंग : ये पद्य हमने कामन वेल्थ खेलो के गीत से लिया है.. यहां पर नेता अपनी कमाई की खुशी मे जोर जोर से गीत गा रहा है.. गीत का भावार्थ निम्न है..
Aug 24, 2010
नेता का सरकारी झपट्टा..
एक नेता बहुत ही परेशान था, उसके साथ के कई नेता चारा, सडक, डामर, पनडुब्बी, तोप, प्रोविडेंड फंड, रिश्वत खा कर, और ईमान, धर्म, देश, न्याय, सुरक्षा बेच कर बहुत मोटे हो गये थे. नेता चूंकि खेल संघ का अध्यक्ष भी था लेकिन फिर भी कुछ नही कर पा रहा था क्यों कि जो कमाई चारा, डामर, पनडुब्बी, तोपो मे थी वो कमाई खेलो मे नही हो पाती थी.
Aug 13, 2010
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