Jun 21, 2015

दो मुट्ठी बातें...

गर्मियों की रातें,
दो मुट्ठी बातें।

Jan 18, 2015

वो भोला भाला एक सांप...

वो भोला भाला एक सांप।
भाषण देता था खाँस खाँस।।
वो पहुंचा घाट बनारस के।
वापस लौटा फिर हांफ हांफ।।

Jan 17, 2015

पूर्व मंत्री की पोर्नसाइट बंद, यूजर्स मे भारी गुस्सा ।

मोदी सरकार की पोर्न साइट पर प्रतिबंध लगाने के अंदेशे के कारण एक पूर्व मंत्री द्वारा बनाई गयी वेबसाइट के यूजर्स मे बहुत आक्रोश है, एक गुप्त स्थान पर हुई चर्चा मे उन्होने कहा कि वेबसाइट के आकर्षक अफ्रीकी मॉडलों को देख कर उन्होने विडियो डाउनलोड करने के अधिकार खरीदे थे, लेकिन पूर्व मंत्री ने  मॉडलों के विडियो का बकाया नही दिया, मांगने पर मारपीट की, इसलिये मॉडलों ने विडियो के कॉपी राइट के लिये मंत्री जी को कोर्ट मे खींचने की धमकी दी जिससे गुस्साकर मंत्री जी ने वेबसाइट बंद की है। यूजर्स का कहना है कि मंत्री जी के लालच की सजा उनको क्यों मिले? यदि साइट चालू नही की गयी तो वो अपनी पुरानी पार्टी को वोट देंगे जिसने मंत्री जी को सरकार मे समर्थन दिया था। उधर मंत्री जी को पोर्नसाइट से होने वाली आय पर गिरी गाज से बहुत धक्का लगा है और कोढ में खाज ये है कि उनकी पार्टी ने उनसे मिलने वाले चंदे में बढोत्तरी की मांग की है।

Jan 3, 2015

PK का विरोध... दिग्भ्रमित, दिशाहीन उग्रता...

कुछ  समय से सोशल मीडिया पर पीके फिल्म का विरोध बढ रहा था और अब उसकी उग्रता भी देखी, बहुत पहले आये चाणक्य सीरियल में एक दृश्य था, जिसमे आचार्य चाणक्य बौद्धों के बढते प्रभाव से व्यथित हिंदू धर्म के आचार्यों को संबोधित करते हैं. वह विडियो खंड मैं यहां दे रहा हूं.




Mar 31, 2014

केजरीवाल दोहावली

तू AAPi AAPi करता चल ।
तू आपाधापी करता चल ।।
जब कोई तुझ से कुछ पूछे।
तू खांसी खांसी करता चल ।।


Sep 19, 2013

तुम क्या दोगे..?


अभी तो मुझे नारा तक समझ नही आया कि…. 
आधी रोटी खानी है, 
कि पूरी रोटी खानी है, 
कि खानी भी है कि नही खानी है, 
या फिर खिलानी है?
1 रुपये मे खानी है, 
कि 5 रुपये मे खानी है, 
कि 12 रुपये मे खानी है?

Sep 16, 2013

वो भयभीत हैं...

वो भयभीत हैं,
अपने काले कारनामों के खुलने से,
अपने पापों के जगजाहिर हो जाने से,
अपने अपराधों के जवाब मांगे जाने से,
अपनी सत्ता के छिन जाने से,
अपनी ताकत के हीन हो जाने से,
अपने कुर्ते के काले धब्बों के दिखने से...


Nov 17, 2012

कुंए के मीडियाई मेढक..


भारतीय मीडिया जिस प्रकार से पत्रकारिता के गंभीर दायित्व का उल्लंघन कर आमदनी के ऊपर ध्यान केंद्रित कर रहा है उस से इसकी प्रमाणिकता और विश्वसनीयता समाप्ति की ओर है. मीडिया में आये इस स्खलन का दोष, दायित्व मीडिया के उन पत्रकारों का ही है जो सत्य के स्थान पर अपने स्वामियों की लाभहानि के अनुसार मुंह खोलते हैं. बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य मे मीडिया ने अपनी वरीयतायें भी बहुत तेज गति से बदली हैं. किन्हीं औद्योगिक घरानों की भांति यह राष्ट्र, समाज के प्रति अपने दायित्व को भूल अपने समाचारों, समाचारों के चयन, प्रस्तुत करने की भाषा और समाचार बनाने या ना बनाने के निर्णय राजनीतिक व्यक्तियों के लाभ हानि के अनुसार करने लगा है. इसमे ऐसे स्वघोषित पत्रकार और चैनल उत्पन्न हो गये हैं जिनके विचार बुद्धिमता के स्थान पर अपनी आमदनी के आकलन पर निर्भर हो रहे हैं. और जब सत्ता भ्रष्ट हो, और उस पर भ्रष्ट व्यवहार द्वारा कमाई गयी अकूत संपत्ति भी हो, तो ऐसे पत्रकार सत्ता के चरण पखार कर पीने मे संकोच / शर्म नही करते.